मोदी सरकार का किसानों को अब तक का सबसे बड़े तोहफा, प्रति क्विटंल 200 रुपये बढ़ा धान का समर्थन मूल्य

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नई दिल्ली: आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया है| खरीफ फसलों की लागत पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ाने पर कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है| इस फैसले से किसानों को उनकी लागत का 50 फीसदी ज्यादा एमएसपी मिलेगा| कैबिनेट की बैठक में धान, दाल, सोयाबीन, मूंगफली और मक्का जैसे खरीफ फसलों पर एमएसपी को मंजूरी दी गई| केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपये बढ़ाकर 1,750 रुपये क्विंटल कर दिया गया है, जबकि ए ग्रेड धान पर 160 रुपये का इजाफा किया गया है। उन्होंने कहा कि एमएसपी बढ़ाने से सरकार पर 15 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार बढ़ेगा

राजनाथ ने कहा कि देश के तकरीबन 12 करोड़ किसानों को इससे सीधा फायदा पहुंचेगा| गौरतलब है कि पिछले साल सामान्य ग्रेड के धान की एमएसपी 1,550 रुपये प्रति क्विंटल थी| इसके पहले धान की एमएसपी में एक साल में रिकॉर्ड बढ़त 155 रुपये प्रति क्विंटल की एक दशक पहलेसाल 2008-09 में यूपीए सरकार द्वारा की गई थी| यानी मोदी सरकार के द्वारा की जाने वाली बढ़ोतरी अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी|

14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अधिकतम वृद्धि रागी में हुई है। इसका एमएसपी 1900 रुपये बढ़ाकर 2,897 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। मक्के के समर्थन मूल्य को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1700 रुपये किया गया। मूंग की एमएसपी को 5575 रुपये से बढ़ाकर 6975 रुपये प्रति क्विंटल किया गया। उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 5400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5600 रुपये किया गया। बाजरे की एमएसपी को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1950 रुपये किया गया। कपास (मध्यम रेशा) के लिए किसानों को अभी तक 4,020 रुपये प्रति 100 किलोग्राम मिल रहा था अब इसे बढ़ाकर 5,150 रुपये किया गया है। लंबे रेशे वाले कपास का मूल्य 4,320 रुपये से बढ़ाकर 5,450 किया गया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ही कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और नीति आयोग के सदस्यों से मुलाकात की| जिसके बाद 2018-19 के लिए नए एमएसपी का ऐलान होगा| पीएम मोदी का लक्ष्य है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जाए. आपको बता दें कि हाल ही में एक मैग्ज़ीन को दिए गए इंटरव्यू में पीएम ने इसके संकेत भी दिए थे| गौरतलब है कि मोदी सरकार का ये फैसला सीधे तौर पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई प्रदेशों में सीधा असर दिखाएगा, इन राज्यों में किसानों की संख्या अधिक है और लोकसभा सीटों की भी|

जानकारों के मुताबिक, सरकार ए2+एफएल फॉर्मूला को अपनाने का प्रस्ताव लेकर आई है| ए2+एफएल फॉर्मूले के तहत फसल की बुआई पर होने वाले कुल खर्च और परिवार के सदस्यों की मजदूरी शामिल होगी| फिलहाल, बाजरा, उड़द, अरहर जैसे कुछ फसलो के लिए ये फॉर्मूला लागू है| फसल की पैदावार लागत में सभी तरह के खर्चे शामिल किए जाएंगे| इनमें बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरी, मशीन आदि को शामिल किया जा सकता है. उसी आधार पर एमएसपी तय किया जाएगा| हालांकि, किसान की लागत में जमीन की कीमत शामिल नहीं होगी, जिसकी सिफारिश स्वामीनाथन आयोग ने की थी|

पिछले हफ्ते गन्ना किसानों से बात करते हुए पीएम मोदी ने यह वादा किया था कि खरीफ सीजन के लिए फसलों के इनपुट कॉस्ट के 150 फीसदी तक एमएसपी करने की योजना को लागू किया जाएगा| उन्होंने कहा था कि उसे इस हफ्ते होने वाली कैबिनेट बैठक के दौरान मंजूरी दी जाएगी| इससे पहले भी मोदी सरकार की तरफ से गन्ना किसानों के लिए राहत दी गई थी|