99 साल के आध्यात्मिक गुरु दादा वासवानी का पुणे में निधन

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संत और शाकाहार का प्रचार-प्रसार करने वाले आध्यात्मिक गुरू दादा जे.पी. वासवानी का 99 साल की उम्र में निधन हो गया| साधु वासवानी मिशन के आध्यात्मिक प्रमुख जे.पी. वासवानी अगले महीने ही 100 वर्ष पूरे करने वाले थे| उन्होंने 150 किताबें भी लिखी थीं| मिशन की एक सदस्य ने बताया कि उम्र संबंधी बीमारियों के चलते उनका निधन हो गया। मिशन की सदस्य ने कहा, “उन्हें पिछले दिनों शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उन्हें कल रात अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी।” सदस्य ने बताया कि अगले महीने वासवानी का 100 वां जन्मदिन मनाया जाना था जिसके लिए मिशन बड़े समारोह की योजना बना रहा था।

हैदराबाद में दो अगस्त 1918 को जन्मे दादा वासवानी के गुरु साधु टी एल वासवानी थे| वो अभी द्वारा पुणे में स्थापित साधु वासवानी मिशन में वर्तमान आध्यात्मिक प्रमुख थे| साधु वासवानी मिशन एन नॉन-प्रॉफिट संस्था है जिसकी दुनिया भर में इसकी शाखाएं हैं| दादा वासवानी का मानना था कि जीवन में परेशानियों का मूल कारण इच्छाएं हैं| हमें प्रभु की रजा में राजी रहना चाहिए, नम्रता धारण कर मानव सेवा करना चाहिए|

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दो अगस्त 1918 को जन्मे दादा वासवानी के जिंदगी में 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर पिछले साल दो अगस्त को शताब्दी समारोह शुरू हुआ था| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशभर में इन कार्यक्रमों की शुरुआत की थी| दादा वासवानी को उनके जन्मदिन के मौके पर शुभकामना देते हुए प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि उनके आशीर्वाद से नए भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी|

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उनसे जुड़े निजी संस्मकरणों को शेयर किया था| मोदी ने कहा था, ’27 वर्ष पूर्व एक कार्यक्रम में दादा से मिलने और वक्त गुजारने का मौका मिला था| उस वक्त अच्दे समाज और देश के भविष्य को लेकर उनसे चर्चा हुई थी| उनसे सीखने के लायक बात यह है कि दूसरों के लिए जितना अच्छा किया जा सकता है उतना किया जाना चाहिए|