कजरी …. अरे रामा रिम झिम मा तड़पे जियरवा बलम परदेसवा रे हारी

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अरे रामा रिम झिम मा तड़पे जियरवा बलम परदेसवा रे हारी।

धरती पे हरी हरी घसिया की चादर,

फिर भी है  प्यासी  मन  की  गागर,

अरे  रामा  बरछी  सा  कोन्चै  कगंवा  बलम  परदेसवा  रे हारी।

अरे रामा रिम झिम मा तड़पे जियरवा  बलम परदेसवा रे  हारी।

पाओं मा जब  पैजनिया  बाजय,

गोरी कलाइयां मा चुरिया बाजय,

अरे  रामा  हूक  से  मरि  मरि  जाऊं  बलम  परदेसवा  रे  हारी।

अरे रामा रिम झिम मा तड़पे जियरवा बलम  परदेसवा रे  हारी।

पीहू  पीहू  बोले   पपिहरा  जुल्मी,

करिया  बदरवा मा कड़के बिजली,

अरे  रामा  नीक  न  लागय  बिछौना  बलम  परदेसवा रे हारी।

अरे रामा रिम झिम मा तड़पे जियरवा बलम परदेसवा रे हारी।

आग लगे अइसन नौकरियां मा साजन,

जियु  का बदन  का  जरावत है सावन,

अरे  रामा  कईसन  संभालू  जोबनवा बलम परदेसवा रे हारी।

अरे रामा रिम झिम मा तड़पे जियरवा बलम परदेसवा रे हारी।

मेहदी अब्बास रिज़वी

  ” मेहदी हललौरी “