15 अक्टूबर तक निर्मित होने वाला अर्जुनपुर का पैंटून पुल नहीं बना अब तक

पक्के पुल के वादे हवा हवाई , पैंटून पुल के भी पड़ गए लाले : हरपालपुर

रिपोर्ट : गोपाल द्विवेदी ,रीडर टाइम्स
हरदोई : हरपालपुर कटियारी के लोगों को अभी तक सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन और जनप्रतिनिधियों के मिले झूठे वायदों से निराशा ही नसीब हुई है। पंचनद कटरी कुछ ऐसे ही चुनावी वादों से बार-बार छली जा रही है। यहां लोग अर्जुनपुर रामगंगा नदी पर पक्के पुल की दशकों से मांग कर रहे हैं। लेकिन इस बार लोक निर्माण विभाग की अकर्मण्यता के चलते 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक बनने वाला पैंटून पुल भी समय से निर्मित नही हो सका। नतीजतन इस बार दीपावली व भैयादूज पर लोगों को दिक्कते हुई। हालांकि नाव के सहारे नदी पार कर अपने भाईयों को भैयादूज पर तिलक करने की बहनों को मजबूरी हो गयी थी। इस बार कार्तिक पूर्णिमा तक इस पैंटून पुल के निर्मित होने के आसार कम ही दिख रहे हैं।

जबकि यहां से प्रतिदिन लगभग पांच हजार लोगों का आवागमन इस मार्ग से होता है । क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक, 15 जून को बारिश के मौसम में प्रतिवर्ष पैंटून पुल तोड़ दिया जाता है और 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक हर हाल में पीपों को जोडकर आवागमन शुरू कर दिया जाता है। इससे पंचनद कटरी में रबी फसलों की बुबाई,दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान जैसे त्यौहार में आवागमन की खुशियों में इजाफा जाता हो जाता है। पर पीडब्लूडी की लापरवाही से पैंटून पुल का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है। सूत्रों की मानें तो पुल के ढह जाने से पानी के दायरों को भी परखा जा रहा है। इस संबंध में एसडीएम सवायजपुर कपिल देव यादव ने बताया कि पीडब्ल्यूडी के अभियंता से बात करके ही वह कुछ बता सकते हैं।

यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन 90 गंगा श्रद्धालुओं की नदी में डूबने से हुई मौत के बाद से अनवरत मृतको की पुण्यतिथि मनाई जाती है यहां तक कि पूर्व प्रधान खैरूद्दीन समाज सेवी श्रीमती सीमा मिश्रा ने तो प्रतिज्ञा कर ली है कि जब तक फुल नहीं बन जाता तब तक वह श्रृंगार से वंचित रहेंगी। मालूम हो कि वर्ष 1976 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन पांचाल घाट फर्रुखाबाद में गंगा स्नान करनें जा रहे 90 लोगों से भरी नाव बड़ागांव अर्जुनपुर रामगंगा घाट पर डूब गई थी। तत्कालीन कांग्रेसी विधायक स्व.हरिशंकर तिवारी के प्रयासों से पक्के पुल की जगह पैंटून पुल मंजूर हुआ था। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार,लगभग 30 वर्ष पूर्व बडागांव घाट पर मंजूर हुए पांटून पुल के लिए 30 नए पीपे आए थे लेकिन विभागीय लापरवाही से कुछ बाढ़ में बह गए तो कुछ धीरे-धीरे जर्जर होते रहे।

वर्तमान में 12 पीपे ही बचे हैं। जिससे रामगंगा की धार को बांधना कठिन है। लोक निर्माण विभाग के अवर अभियंता सर्वानंद तिवारी का कहना है कि पैंटून पुल निर्माण के लिए इसलिए देरी हो रही है। क्योंकि वर्षो पुराने पीपे पूरी तरह जीर्ण दशा में पहुंच चुके हैं।किसी भी अनहोनी के कारण दूसरे पीपों की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि उन्नाव से पैंटून पुल के निर्माण के लिए पीपों की व्यवस्था करायी जा रही है। 15 नवंबर तक पुल को निर्मित कराने का प्रयास किया जा रहा है।