Home Breaking News भारत सरकार ने 328 दवाओं पे लगाया प्रतिबन्ध, डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं मिलेगी ये दवाये
भारत सरकार ने 328 दवाओं पे लगाया प्रतिबन्ध, डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं मिलेगी ये दवाये
Sep 13, 2018

नई दिल्ली:- आइएएनएस। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को तत्काल प्रभाव से मानव उपयोग के उद्देश्य से 328 एफडीसी (फिक्स्ड डोज कांबिनेशन या निश्चित खुराक संयोजन) के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है | मंत्रालय ने कुछ खास हालात में छह अन्य एफडीसी दवाओं के उत्पादन, वितरण और बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया है।
मंत्रालय ने बुधवार को जारी अपने बयान में बताया है कि एफडीसी का अर्थ दवा की एक खुराक में दो या उससे अधिक दवाइयों का एक तय अनुपात में मिश्रण होता है। दरअसल, केंद्र सरकार ने मार्च 2016 में ही 349 एफडीसी दवाओं की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी थी। लेकिन सरकार के इस फैसले को दवा निर्माताओं ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) ने मामले का अध्ययन किया और केंद्र को दी अपनी रिपोर्ट में एफडीसी पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की कि दवा की सामग्री का कोई नैदानिक तर्क नहीं है। साथ ही यह एफडीसी दवाएं मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा भी हो सकती हैं। इससे पहले, केंद्र की नियुक्त की हुई विशेषज्ञ कमेटी ने भी ऐसी ही सिफारिशें की थीं। लिहाजा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना के जरिए एफडीसी पर प्रतिबंध लगा दिया।
कुछ दवाएं डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं मिल पाएंगी
दूसरी ओर 6 एफडीसी को कड़े प्रतिबंधों के साथ बेचा जा सकेगा। इन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं बेचा जा सकेगा। गौरतलब है कि सरकार ने मार्च 2016 में 349 एफडीसी पर बैन लगा दिया था। दवा कंपनियां इस बैन के खिलाफ दिल्ली और अन्य हाई कोर्ट में चली गई थीं। दिल्ली हाई कोर्ट ने बैन को खारिज कर दिया था। इस पर सरकार और कुछ निजी हेल्थ संगठन सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से बैन की गई दवाओं की जांच के लिए एक कमिटी बनाने और रिपोर्ट देने को कहा था।
कमिटी ने दवाओं पर बैन को ठहराया सही
इस पर ड्रग टेक्निकल अडवाइजरी बोर्ड ने एक कमिटी का गठन किया। कमिटी ने 343 दवाओं पर लगाए गए बैन को जायज करार दिया और छह के निर्माण और बिक्री के लिए कुछ शर्तें लगा दी। सरकार ने इनमें से 328 को ही बैन किया है। इस बैन के बाद इन दवाओं के बाजार से बाहर होने का रास्ता साफ हो गया है।
क्या होती हैं एफडीसी दवाएं
एफडीसी दवाएं वह होती हैं, जिन्हें दो या उससे ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाया जाता है। इन दवाओं पर देश में एक लंबे समय से विवाद हो रहा है। हेल्थ वर्कर्स के साथ ही संसद की एक समिति ने भी इन पर सवाल उठाए हैं।
समिति का कहना है कि ये बिना मंजूरी के और अवैज्ञानिक तरीके से बनाई गई हैं। इनमें कई ऐंटीबायॉटिक दवाएं भी शामिल हैं। जिन एफडीसी पर विवाद हो रहा है, उन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की मंजूरी के बिना ही देश में बनाया और बेचा जा रहा था। इन एफडीसी को राज्यों ने अपने स्तर पर मंजूरी दे दी थी। केंद्र इसे गलत मानता है। उसका कहना है कि किसी भी नई ऐलोपैथिक दवा को मंजूरी देने का अधिकार राज्यों को नहीं है।