रीडर टाइम्स डेस्क
यूपी बाराबंकी में 55% अंकों के साथ हाई स्कूल पास करने वाले छात्र ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना दिया। इस रिकॉर्ड की जानकारी मिलने पर डीएम ने छात्र और उसके परिवार को सम्मानित किया …

यूपी के बाराबंकी हाई स्कूल के एक छात्रा ने 55% अंकों के साथ बोर्ड का एग्जाम पास कर अनोखा रिकॉर्ड बना दिया। रिकॉर्ड भी ऐसा की आजादी के बाद 77 सालों में कोई नहीं बन सका सुनने में यह भले ही अजीब लगे लेकिन हकीकत है राम सनेही घाट स्थित निजामपुर गांव में आजादी के बाद 77 साल के इतिहास में पहली बार किसी छात्र ने हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। जिला प्रशासन ने इस उपलब्धि के लिए छात्र और उसके परिवार को सम्मानित किया।
जिला विद्यालय निरीक्षक ने सोमवार को बताया कि रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के बनिकोंडर विकासखंड स्थित निजामपुर गांव में 15 वर्षीय छात्र रामकेवल ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के हाई स्कूल की परीक्षा में 55% अंकों के साथ सफलता हासिल की त्रिपाठी ने बताया कि यह कामयाबी इसलिए खास है क्योंकि वह 1947 में आजादी के बाद से इस गांव में कोई भी छात्र हाई स्कूल की परीक्षा पास नहीं कर पाया था। उन्होंने बताया कि रामकेवल ने हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण कर गांव के इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया। शिक्षा के क्षेत्र में बेहद पिछड़े करीब 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग सभी लोग दलित वर्ग के इसकी जानकारी मिलने पर जिला अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने छात्र रामकेवल और उसके माता-पिता को जिला मुख्यालय पर बुलाकर सम्मानित किया। रामकेवल ने कहा कि उसे बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक था। लेकिन गरीब होने के कारण उसे मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। उसने कहा कि वह मेहनत मजदूरी करके मिले पैसों से अपनी कॉपी किताब खरीदता और स्कूल की फीस जमा करता था। उसने बताया कि वह तीन भाइयों में से सबसे बड़ा लिहाजा परिवार के खर्च का बोझ भी उसे उठाना पड़ता है।
वह शादियों के समय रात में बारात में लाइट उठाने का काम करता है और जब-जब शादियों का सीजन नहीं होता वह अपने माता-पिता के साथ जाकर मजदूरी करता था। रामकेवल ने कहा कि दिन भर के काम के बाद रात में वह अपने छप्पर के नीचे सोलर लाइट की रोशनी में पढ़ाई करता था और उसकी ख्वाहिश इंजीनियर बनने की छात्रा ने बताया कि उसे जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने सम्मानित किया और उसकी आगे की पढ़ाई की फीस माफ करने की घोषणा भी की। रामकेवल के पिता जगदीश मजदूरी करते हैं जबकि मां पुष्पा और प्राथमिक विद्यालय में खाना बनाने काम करती। गांव के लोग रामकेवल की इस सफलता से बहुत खुश है और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले वक्त में गांव के और भी बच्चे उसी की नक्शे कदम पर चलते हुए आगे बढ़ेंगे।