रीडर टाइम्स डेस्क
सात बार फेल हुए 75 बार आइडिया रिजेक्ट हुआ लेकिन हार नहीं मानी आज रैपीडो की वैल्यू 6,900 करोड़ है …

आज भारत की सबसे बड़ी बाइक टैक्सी सेवाओं में से एक है इसकी शुरुआत कुछ मुश्किलों और नाकामियों के साथ हुई थी। पवन गुंटूपल्ली और उनके साथियों का पहला स्टार्टअप चल नहीं पाया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी जब उन्होंने बाइक टैक्सी का आईडिया पेश किया तो कई निवेशकों ने इसे अस्वीकार कर दिया 75 से ज्यादा बार उन्हें ना सुनने को मिला लेकिन उन्होंने अपना विश्वास नहीं खोया उन्होंने मेहनत की लगातार कोशिश की और आगे बढ़ते रहे।
धीरे-धीरे रेपीडो को पहचान मिलने लगी लोगों को यह सुविधा पसंद आई सस्ती , तेज और आरामदायक सवारी का नया तरीका आज रैपीडो की वैल्यू 9 ,200 करोड़ से ज्यादा और यह भारत के कई शहरों में लाखों लोगों को रोजगार की सुविधा दे रही है। अगर आपको अपने पर विश्वास है। तो नाकामी भी आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती रैपीडो की सफलता यही सिखाती है हर ”ना” के बाद एक ”हां जरूर’ आता है।
बेंगलूरु में अरविंद शंका ,पवन गुंटूपल्ली ,एसआर ऋषिकेश रैपीडो ऋषिकेश ने मिलकर 2015 में शुरुआत की।इससे पहले तीनो मिलकर एक स्टार्टअप चला रहे थे जो लॉजिस्टिक्स सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की थी। लेकिन तीनो बिजनेस सेक्टर पर हाथ आजमाना चाहते थे।
इसलिए शुरू किया बाइक टैक्सी –
2015 तक पहले देश में कैब सर्विस शुरू हो चुकी थी लेकिन किराया काफी महंगा था। जाम में फंसने का भी डर रहता था। बेंगलुरु के ट्रैफिक और महंगे किराए से राहत दिलाने के लिए उनके दिमाग में बाइक सर्विस का आइडिया आया।
शुरुआती दौर में प्रयोग के तौर पर 15 से 20 लोगों को मौका दिया गया। जिनके पास खुद के दो पहिया वाहन थे यह प्रयोग लोगों को पसंद आया नतीजा पहला प्रयोग सफल रहा। इस तरह बेंगलुरु में बाइक टैक्सी सर्विस रैपीडो लॉन्च हुई और रैपीडो की टैगलाइन रखी गई। राइट सोलो सफलता का दायरा बढ़ाने के लिए कंपनी ने ऑटो रिक्शा की सुविधा देनी भी शुरू की जिसे काफी पसंद किया गया।
रैपीडो ने लड़ी कानूनी लड़ाई –
रैपीडो के मार्केट में आने के बाद मोटर एक्ट का बड़ा संकट आ खड़ा हुआ नियम है कि सफेद प्लेट वाले वाहनों का इस्तेमाल कमर्शियल वाहन के तौर पर नहीं किया जा सकता। यही वजह थी कि इस बाइक पुलिंग टैक्सी सर्विस कंपनी के तौर पर प्रचारित किया गया।