कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दी फसलों एवं पशुओं को बचाने जानकारी

रिपोर्ट :-ब्यूरो हेड(राहुल भारद्वाज)
दौसा :- कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ.बी एल जाट ने बताया कि रबी की फसलों की कटाई के तुरन्त बाद भारी मिट्टी वाले इलाकों में खाली खेतों की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड दें, ताकि सूर्य की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीडों के अण्डे तथा खरपतवारों के बीज नष्ट हो जायें।

 

उन्होंने बताया कि सुरक्षित अनाज भण्डारण के लिए भण्डारण के पहले अनाज में नमी की मात्र 10 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। भण्डारण-गृह को वायुरोधी बनाकर सेलफॉस पाउच 10 ग्राम प्रति तीन क्विंटल के हिसाब से उपयोग करें। बीज के लिए भण्डारित किये जाने वाले अनाज में मैलाथियान 4 प्रतिशत का चूर्ण 500 ग्राम प्रति क्विंटल के हिसाब से मिलाकर रखें। नए बाग लगाने के लिए उपयुक्त आकार के गड्डे खोदकर अभी तैयार करना चाहिए ताकि तेज धूप से कीटों और बीमारियों का नियंत्रण हो सके। पपीते की नर्सरी इस समय पॉली बैग में तैयार की जा सकती है। अमरूद के बगीचे में सिंचाई को रोक देवें तथा बेर एवं अमरूद के बगीचों में आवश्यकतानुसार कटाई- छटाई का कार्य करें।

 

इसी प्रकार उन्होंने बताया कि नींबु में मृग बहार के लिए आवश्यकतानुसार नियमित अन्तराल पर सिंचाई कार्य सुबह या सायं को ही करें। नींबू के पौधों में तन गलन एवं केंकर से बचाव के लिए बोर्डो मिश्रण (1 प्रतिशत) या कॉपर आक्सी क्लोराइड (0.3 प्रतिशत) के घोल का छिडकाव करें। फल गिरने की समस्या रोकने के लिए 2,4-डी (10 पीपीएम) व बोरेक्स (0.25 प्रतिशत) के घोल का छिडकाव किया जा सकता है। ग्रीष्मकालीन सब्जियों जैसे लौकी, कद्दू, चिकनी तुरई, खीरा, करेला, ककडी, ग्रीष्मकालीन भिण्डी, पालक में आवश्यकतानुसार पानी कद्दू वर्गीय सब्जियों में फल मक्खी से बचाव के लिए बैट ट्रैप का उपयोग करें। रसचूषक कीटों का प्रकोप दिखाई देने पर मैलाथियान (0.2 प्रतिशत) का छिडकाव करें।

 

उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका एवं फार्म उत्पाद से मूल्य सवंर्धित उत्पाद बनायें जैसे नींबु का शरबत, आम का आचार, टमाटर का सॉस इत्यादि। पशुओं में खुरपका मुँहपका रोग बचाव के लिए टीका लगवायें। पशुओं को पीने के लिए ताजा पानी की उपलब्धता रखें। दिन में चार बार पानी पिलावें। पशुओं को चारा सुबह-शाम ठण्डे मौसम में खिलावें एवं पशु आहार में खनिज लवण की आपूर्ति करें। पशु आवास में फिनाईल या हाईपोक्लोराइड का समय-समय पर छिडकाव करते रहें। कृषकों को सलाह दी जाती है कि वे खेत में इस्तेमाल किये गये कपडों को धोकर, धूप में सुखाकर 48 घण्टे बाद ही पहनने के काम में लेवें। खेती कार्य में स्वयं के औजार ही काम में लेवें। एक-दूसरे के साथ मिलकर धूम्रपान न करें। कृषि कार्य के दौरान हमेशा एक दूसरे से उचित दूरी बनाये रखें। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने हेतु विटामिन ‘सी‘ से भरपूर सन्तरा, किन्नु, आँवला व प्रोटीन युक्त भोजन जैसे दाल, दूध, पनीर व दही का सेवन करें।

 

उन्होंने बताया कि यदि किसी को खांसी, सिरदर्द, बदन दर्द, सर्दी और बुखार के लक्षण हो तो तुरन्त नलदीकी अस्पताल में सम्पर्क करें। मुँह पर हमेशा मास्क लगायें।