शराब चीज ही ऐसी है ;ना छोड़ी जाए, 

संवाददाता अमित पांडेय

रीडर टाइम्स

1- जिंदगी खतरे में डालकर पैसे कमाती सरकार

2- राजधानी में शराब बिक्री के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त 6 करोड़ का आंकड़ा हुआ पार

लखनऊ : मशहूर गजल गायक पंकज उदास की यह ग़ज़ल शराब चीज ही ऐसी है ना छोड़ी जाए आज के परिपेक्ष में बिल्कुल सटीक बैठती है। आज समूचा विश्व कोविड-19 से लड़ता हुआ लाशों के ढेर पर बैठा है तो ऐसे में हमारे देश में 25 मार्च से जारी लॉक डाउन के तीसरे चरण  में 4 मई को सरकार ने जब शराब की दुकानें खोलने का निर्णय लिया तो शराबियों को तो मानो मन मांगी मुराद जैसी मिल गई। मयखानों में लगी लंबी कतारें इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। शराब जैसी बेकरारी राशन की दुकानों पर कभी नहीं दिखी क्योंकि राशन में वह सुरूर कहां जो शराब के दो घूंट में है। और शायद सरकार भी यह जानती है तभी तो करो ना संक्रमण के खतरे को ताक पर रखकर वह राजस्व कमाने की फिराक में दिखाई पड़ रही है। लॉक डाउन की वजह से जिनके गले सूख चुके थे। जैसे ही सरकार ने उन्हें गला तर करने का मौका दिया तो वह फल सब्जी दूध की फिक्र छोड़ शराब के लिए लाइनों में खड़े नजर आए,और नतीजा यह हुआ कि शराब की बिक्री में 5 गुने की बढ़ोतरी हुई और सामान्यता एक से डेढ़ करोड़ तक बिकने वाली अंग्रेजी शराब 6 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई। लेकिन जब करोना संक्रमण से बचने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं और सरकार भी हर जोखिम उठाने को तत्पर दिख रही है। यहां तक केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को ताक पर रखकर पूरे देश में एक साथ लॉक डाउन का ऐलान करा कर अपनी मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय दिया। जिसकी विश्व भर में जमकर चर्चा भी हुई और सरकार और जनता की प्रयास से हम इस महामारी से डटकर मुकाबला भी कर रहे हैं लेकिन सरकार के शराब की दुकानें खोलने के निर्णय ने मानो सब किए कराए पर पानी फेर दिया है। मान लिया जाता है कि देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है और सरकार को व्यवस्थाओं को चलाने के लिए पैसों की सख्त आवश्यकता भी है लेकिन शराब बिक्री का फैसला लेने से पहले अगर उसके आफ्टर इफेक्ट्स भी देख लिए जाते तो शायद ज्यादा बेहतर होता। कल अकेले लखनऊ में लगभग 6 करोड़ रुपए की शराब बिक्री हुई जो अपने आप में रिकॉर्ड है और पूरे प्रदेश में लगभग 200 करोड़ रुपए के ऊपर की शराब खरीदी गई। अगर मौसम आड़े ना आता तो यह बिक्री कई सारे नए रिकॉर्ड बना जाती। लेकिन रिकार्डों के पीछे बहुत कुछ छूट भी गया सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। संक्रमण के सभी खतरों को नजरअंदाज कर लोगों ने नशे का सामान खरीदा।शराब बिक्री और उससे पड़ने वाले सभी प्रभावों को सरकार बेहतर जानती है लेकिन जानबूझकर राजस्व कमाने के लालच के चलते सरकार ने आंखें बंद कर रखी है । लखनऊ के एसीपी ने तत्काल शराब की दुकानों को बंद करने संबंधित एक ट्वीट किया है जिसमें 40 दिनों की मेहनत पर पानी फिरने की बात कही गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी शराबियों के रवैए को देखकर चिंतित दिखाई दिए लेकिन फिर लालच का टेप मुंह पर चिपका कर बैठ गए । देशभर के बुद्धिजीवी लोगों ने सरकार के इस कदम की निंदा की है।जबकि जिम्मेदार शराबियों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है ,

“हम तो मतवाले हैं हमें फिक्र नहीं जमाने की।”