घरेलु हिंसा की शिकार महिलाओ की सच्ची कहानी व जुबानी

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

कहते हैं की जितनी असुरक्षित महिला घर के बाहर हैं उससे कही ज्यादा वो घर के अंदर रहती हैं। महिलाओ के खिलाफ अपराध की कोई घटना इस चल रहे समय से नहीं बल्कि प्राचीन कल से ही महिलाओ के खिलाफ शारीरिक व मानसिक अपराध होता आ रहा हैं। महिलाओ के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। प्रसिद्ध कार्यकर्ताओ की आँखे खोल देने आलेखों और घरेलु हिंसा वाली महिलाओ के सच्चाई से सजी पुटके हमे हिंसा के पीछे के दरवाजे खोलती हैं। जो घरेलु हिंसा की शिकार रहीं हैं। और अब वही महिलाये चुप्पी तोड़ने के लिए एक फैसला किया। और घर के भर भी महिलाओ के साथ हिंसा ,दुष्कर्म और अन्य अपराध होते हैं। पर ऐसे गुनाहो का शिकार पुरुष भी होते हैं।

समाज में महिलाओ के साथ हो रहे दुष्कर्म को कम करने के लिए क्या किया जाए

घर की आर्थिक स्थिति खराब होने से या फिर शिक्षा की कमी से महिलाओ पर दुष्कर्म नहीं होता हैं बल्कि कभी खभी पढ़े लिखे परिवारवालो में भी महिलाओ के साथ हिंसा होती हैं। महिलाओ पर हिंसा कई प्रकार से होती हैं। और दुनिया में किसी न किसी जगह पर हर १५ सेकेंड में एक महिला के साथ शारीरिक दुर्वव्यवहार किया जाता हैं।