दिल को दहला देगी इस गरीब माँ की कहानी ; भूख से 5 साल बेटी की मौत

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

लॉकडाउन में बहुत से ऐसे मामले सामने आए जो दिल और दिमाक को झंझोर कर रख देंगे। क्योकि इस समय हर व्यक्ति कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा हैं। जो की काफी दर्दनाक हैं। कोरोना वायरस पर नियंत्रण रखने के लिए देश भर में लॉकडाउन करने का कदम उठाया गया। पर इसी लॉक डाउन ने बहुत से गरीबो व उनके बच्चो की जान ले ली। ऐसे ही “उत्तर प्रदेश के आगरा में बरौली अहीर ब्लॉक नगला विधिचंद्र” से एक दर्दनाक घटना सामने आई। जिसमे पांच वर्षीय बच्ची सोनिया की मौत शनिवार हो गई। माँ शिला देवीं का कहना हैं की ,उसकी मौत भोजन न मिलने के कारण भूख की वजह से हो गई। भूखे रहने की वजह से वो बहुत ज्यादा कमजोर हो गई थी और बुखार भी बहुत तेज आ गया था। और काफी दिन से उनके घर पर राशन भी नहीं था। हलाकि उनके घर पर राशन लेकर पहुंचे तहसीलदार प्रेमपाल सिंह ने बताया की बच्ची की जान भूख से नहीं बल्कि बीमारी से हुई हैं। जानकारी के मुताबिक , सांस की बीमारी की चपेट से पप्पू की 40 वर्षीय पत्नी ने बताया की, सोनिया की मौत शनिवार को हो चुकी थी। और उसे तीन दिन पहले तेज बुखार भी था। महीने भर से घर में राशन नहीं था। 15 दिन तो पड़ोसियों के घर से राशन मांग कर गुजरा कर रहे थे। पर पिछले कुछ दिनों से घर में खाने को एक दाना तक नहीं था। बीमारी की वजह से बच्ची पीली पड़ गई थी। ऐसा लग रहा था की बच्ची के शरीर में खून की कमी हो गई हैं। और स्थिति इतनी ख़राब थी की दवा लाने के लिए भी पैसे नहीं थे तो बच्ची को लेकर अस्पताल नहीं गए।

लॉक डाउन में मजदूरी भी नहीं

6 महीने से कोई काम भी नहीं मिला क्योकि शिला देवी ने बताया की वो मजदूरी करती थी पर इस कोरोना में लागू हुए लॉक डाउन ने सभी की आर्थिक स्थिति की कमर तोड़ कर रख दी। कभी कभी काम मिल भी जाता था पर अब तो वो भी नहीं रोटी के भी लाले पड़ने लगे थे।

राशन कार्ड की भी कोई सुविधा नहीं

इस लॉक डाउन में राशन डिपो में राशन मुफ्त मिल रहा हैं पर उनका राशन कार्ड नहीं बना होने के कारण उन्हें राशन की सुविधा प्राप्त नहीं हुई हैं।और तहसीलदार ने बताया की राशन कार्ड का आवेदन नहीं हुआ हैं।

बच्ची की मौत की सूचना पर राशन की सुविधा

तहसीलदार ने बताया की, बच्ची के माता पिता व आस-पड़ोस के लोगो से बात हुई। बच्ची को तेज बुखार था तभी उसकी जान चली गई भूख से उसकी जान नहीं गई हैं। और परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब हैं यहाँ देखते हुए 50 किलो आटा 40 किलो चावल व तेल आदि अन्य राशन दिया गया हैं।

जानकारी में नोटबंदी के दौरान बेटे की भी जान जा चुकी हैं

आर्थिक स्थिति से पीड़ित शिला देवी ने बताया की चार साल पहले भी नोटबंदी की वजह से काम छीन लिया गया था। और जिसकी वजह से आर्थिक स्थिति ख़राब होने पर 8 साल के बेटे की जान बीमारी की वजह से चली गई थी। तीन साल से बिजली भी कटी हुई हैं। शिला देवी ने बताया की जब उनके पर खाने को पैसा नहीं था तो बिजली का बिल कैसे देती।