दो बार नोबल पुरस्कार जितने वाली एकमात्र महिला मैरी क्यूरी

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

मैरी क्यूरी ऐसी शख्सियत हैं जिनको शायद ही को नहीं जानता होगा। वह पहली ऐसी वेज्ञानिक हैं, जिन्होंने विज्ञान की दो शाखाओं में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 10 दिसंबर को उन्हें भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। मैरी रेडियो एक्टिविटी की खोज करने के लिए प्रख्यात हैं। 7 नवंबर को 1868 को के वार्सा (जो उस वक्त रूस का हिस्सा था) में उना जन्म हुआ। उनके माता-पिता शिक्षक थे। उनकी मां गणित पढ़ाती थी और पिता विज्ञान। शिक्षकों के परिवार से संबंध होने के चलते मैरी को पढ़ाई लिखाई में शुरू से अच्छी रहीं। अपनी हाई एजुकेशन के लिए वह पेरिस चली गईं और वहां पर उनकी मुलाकात फ्रांस के भौतिक शास्त्री पियरे क्यूरी से हुई।

पियरे ने मैरी को अपने लैब में कार्य करने के लिए जगह दी। शुरू से ही मैरी क्यूरी को लैब में काम करना बहुत पसंद था। एक साथ करते करते मैरी और पियरे को प्यार हो गया, जिसके बाद दोनों ने अपनी बाकी की जिंदगी एक साथ बिताने की सोची और 26 जुलाई 1895 को शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद भी मैरी लैब में काम करती थीं। वह अपना ज्यादातर समय लैब में गुजारती थीं। पति के साथ मिलकर उन्होंने रोडियो एक्टिविटी (Radioactivity) की खोज की।

पहली बार 1903 में मिला नोबेल प्राइज

वर्ष 1903 को रोडियो एक्टिविटी की खोज करने के लिए पियरे क्यूरी और मैरी क्यूरी को 1903 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हालांकि पुरस्कार मिलने के एक साल बाद उनके पति ने दुनिया से अलविदा कह दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, छोटी सी उम्र में मां का साया सिर से उठ जाने के बाद यह मैरी के लिए दूसरा बड़ा सदमा था। बताया जाता है कि एक एक्सीडेंट में उनके पति की मौत हो गई थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने काम के जुनून को नहीं छोड़ा। आठ साल बाद एक बार फिर से उन्हें नोबेल प्राइज से नवाजा गया। पेरिस यूनिवर्सिटी में पहली महिला प्रोफेसर बनीं मैडम क्यूरी को साल 1911 में केमिस्ट्री में रेडियम के शुद्धिकरण और पोलोनियम की खोज के लिए दूसरा नोबेल प्राइज दिया गया।

इस तरह वो दो बार नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाली पहली महिला बन गईं। बताया जाता है कि उनकी खोज के चलते ही मैरी की जान चली गई। रिपोर्ट के मुताबिक,दूसरी बार नोबेल पुरस्कार पाने के बाद मैरी ने अपना समय एक्स रे रेडियोग्राफी के विकास में लगा दिया था। उस दौरान वह अपना ज्यादातर समय रेडियोएक्टिविटी के चिकित्सा क्षेत्र में बिताती थीं, जो उनकी मौत का कारण भी बना। रेडिएशन के संपर्क में आने की वजह से मैरी अपलास्टिक एनीमिया की शिकार हो गईं थी, जिसके चलते 4 जुलाई, 1934 को उनकी मौत हो गई।