वैश्विक स्वास्थ्य का केंद्र बनेगा भारत

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

सेहत से बड़ी कोई संपत्ति नहीं होती। हालांकि, वर्ष 2020 इस लिहाज से सही नहीं रहा। भारत जैसे विकासशील और बड़ी आबादी वाले देश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चुनौती खड़ी हो गई, लेकिन सरकार और जनता ने बहुत ही सूझबूझ से इसका सामना किया। सरकार जहां सुविधाओं का विस्तार करती रही, वहीं जनता संयम के साथ वायरस से मुकाबले में जुटी रही।

अब तक दो बार रूप बदल चुका कोरोना वायरस नए वर्ष में भी बड़ी चुनौती साबित होगा, लेकिन हम उसे हराने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं। हमने वर्ष 2020 में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के विकास और प्रौद्योगिकी के समावेश की जो प्रक्रिया शुरू की है, वह नए साल में गति पकड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल में भारत को वैश्विक स्वास्थ्य का केंद्र बनाने की प्रतिबद्धता जताई है।
एक नजर

1.3% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है भारत सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का
1,457 लोगों पर एक डॉक्टर है भारत में

31 मार्च 2019 तक देश में 9.27 लाख पंजीकृत डॉक्टर सक्रिय सेवा में थे। दूसरी ओर आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक डॉक्टर की संख्या 7.88 लाख है। एलोपैथी और अन्य पद्धतियों के करीब 80 फीसद डॉक्टर ही उपलब्ध हैं स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में निजी अस्पतालों की संख्या सिर्फ आठ फीसद थी। आज यह संख्या बढ़कर 93 फीसद हो चुकी है | नर्स और जनसंख्या के मध्य 1:675 का अनुपात है। देश में करीब साढे़ आठ हजार नर्सिंग इंस्टीट्यूट हैं, जिनसे हर साल करीब 3.2 लाख नर्सिंगकर्मी निकलते हैं | 67.5 वर्ष औसत आयु थी 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के अनुसार। 2025 तक विभिन्न उपायों के जरिये औसत आयु को 70 वर्ष करने का लक्ष्य रखा गया है | वेलनेस सेंटर की संख्या होगी दोगुनी : सरकार ने दिसंबर 2022 तक देशभर में 1.5 लाख आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोलने की योजना की है। नवंबर, 2020 तक देशभर में 50,000 से ज्यादा वेलनेस सेंटर खोले जा चुके हैं। सरकार का प्रयास है कि वर्ष 2021 के अंत तक इनकी संख्या को बढ़ाकर एक लाख कर दिया जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2020 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की घोषणा की थी। केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में पायलट प्रोजेक्ट का संचालन हो रहा है। नए साल के पहले महीने से ही योजना को देशभर में लागू किए जाने की संभावना है। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान पत्र प्रदान किया जाएगा जो अकाउंट के रूप में काम करेगा। इसमें व्यक्ति की सेहत व इलाज से संबंधी जानकारियां दर्ज होंगी। मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध होने की स्थिति में डॉक्टरों को भी रोगी के सटीक इलाज में मदद मिलेगी।

5 सरकारी मेडिकल कॉलेज खुलेंगे : – केंद्र ने वैश्विक चिकित्सा क्षेत्र में भारत की भूमिका को बढ़ाने के लिए बुनियादी स्तर पर काम करने की योजना की है। इसके तहत सबसे पहले चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यानी एनएमसी के गठन से मदद मिलेगी। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 75 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है। ये जिला अस्पतालों या रेफरल अस्पतालों से संबद्ध होंगे। इन कॉलेजों की स्थापना उन जिलों में होगी जहां 200 बेड या उससे ज्यादा की क्षमता वाले जिला अस्पताल हैं। इन कॉलेजों के जरिये एमबीबीएस की 15,700 सीटें बढ़ जाएंगी। स्वास्थ्य बजट में होगा 2.5 फीसद का इजाफा : कोरोना महामारी से सबक लेते हुए सरकार ने देशभर में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की कोशिश शुरू कर दी है। सरकार ने आवश्यक सुविधाओं के विकास के लिए खजाने का मुंह खोलने का फैसला किया है।