2021 के लिए पीएम मोदी का मंत्र ; दवाई भी और कड़ाई भी ,

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

आज वीडियो कन्फ्रेसिंग के जरिये पीएम मोदी ने गुजरात के राजकोट में अखिल भारतीय आयुविज्ञानं संस्थान की (एम्स ) की आधारशिला रखी। और इसके बाद पीएम मोदी ने उम्मीद जताई की भारत में जल्द ही कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी। और दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना टिका अभियान चलेगा। और साथ ही इस दौरान साल का नया मंत्र भी दिया। पीएम मोदी ने कह की पहले मने कहा था की , दवाई नहीं तो ढिलाई नहीं, पर अब मै कहा रहा हूँ की , दवाई भी , और सख्त कड़ाई भी , साल 2021 का मंत्र ” दवाई भी और कड़ाई भी ” होगी ,

पीएम मोदी ने ये भी कहा की ,साल 2020में कोरोना की निराशा व चिंताए थी। और चारो तरफ सवालिया निशान थे। लेकिन साल 2021 आशा की किरण ले कर आ रहा हैं। कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत में महत्वपूर्ण तैयारी चल रही हैं। और साथ ही देश में कोरोना के नए मामलों की संख्या भी कम हो रही हैं। वीडिओ कन्फ्रेसिंग के जरिये पीएम मोदी ने कई बातो का ज़िक्र किया की अगले साल दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम अभियान चालने की तैयारी कर रहे हैं। साल २०२० हम सभी को बहुत कुछ सीखा गया हैं। की स्वस्थ ही सब कुछ हैं।

साल 2020 ने हमे सिखाया ; स्वास्थ्य ही संपदा हैं 

वीडियो कन्फ्रेसिंग के माध्यम से पीएम मोदी ने बताया कि , स्वास्थ्य ही संपदा हैं , साल 2020 हम सभी देशवासियो के लिए चुनौतीपूर्ण रहा हैं और इससे हमे सबक भी मिला हैं। और अब नया साल दस्तक दे रहा हैं। देश के मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर मजबूत करने वाली एक और कड़ी जुड़ रही हैं। राजकोट में एम्स के ( शिलान्यास ) से गुजरात सहित पुरे देश के स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन को अधिक बल मिलेगा।

स्वास्थ्य पर जब चोट लगती हैं तो जीवन का हर पहलू बुरी तरह प्रभावित होता हैं

पीएम मोदी ने साल २०२० को एक नई नेशनल हेल्थ फैसिलिटी के साथ विदाई देना चाहिए। इस साल कि चुनौती को भी बताता हैं और साथ ही नए साल कि प्राथिमिकता को दर्शाता हैं। जिसके चलते अगर स्वास्थ्य पर चोट लगती हैं तो जीवन का हर पहलू बुरी तरह प्रभावित होता हैं। सिर्फ परिवार ही नहीं बल्कि पूरा सामाजिक दायरा भी उसकी चपेट में आ जाता हैं। और इसलिए साल का ये अंतिम दिन भारत के सभी लाखो डॉक्टर्स , सफाई कर्मियों , हेल्थ वारियर्स , दवा दुकानों पर काम करने वाले , को याद करने का हैं। और इस मुश्किल संकट कि घडी में कर्तव्य पथ पर जिन साथियो ने अपना जीवन दान दिया हैं। उन्हें मेरी ओर से सादर नमन करता हूँ।

भारत के देशवासियो ने कोरोना संकट का सामना प्रभावी तरीके से किया

इस मुश्किल भरे साल ने सिखाया दिया कि जब भारत एक जुट होता हैं तो मुश्किल से मुश्किल संकट का सामना वो कितने प्रभावी तरीके से कर सकता हैं। भारत ने एकजुटता के साथ समय पर प्रभावी कदम उठाए ,ओर उसी का परिणाम हैं कि आज हम सब बेहतर स्थिति में हैं। पीएम मोदी ने बताया कि , जिस देश में 130 करोड़ लोगो से ज्यादा लोग हो , और घनी आबादी हो ,वहां के करीब एक करोड़ लोग कोरोना महामारी से लड़कर जीत चुके हैं।

वैक्सीन को लेकर अफवाहों से बचने कि जरुरत

अफवाहे चाहे जैसी हो बहुत जल्दी ही फैल जाती हैं। और इसलिए पीएम मोदी ने कह कि हमारे देश में अफवाहे बहुत जल्दी फैल जाती हैं। कुछ लोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए ये फिर गैर जिम्मेदार व्यवहार के विभिन्न लोग गलत अफवाहे उड़ाते हैं । कोरोना महामारी ने इस साल को बहुत बुरी तरह से प्रभावित भी किया हैं। जिससे हर व्यक्ति कि आर्थिक स्थिति तो बिगड़ ही गयी हैं। पर अभी भी बहुत से लोग ऐसी स्थिति को सँभालने कि कोशिश भी कर रहे हैं।

बीते 6 वर्षो में 10 नए एम्स बनाने पर काम हो चूका हैं

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इतने दशकों बाद भी सिर्फ 6 एम्स ही बन पाए थे। 2003 में अटल जी की सरकार ने 6 नए एम्स बनाने के लिए कदम उठाए थे। उन्हें बनाते बनाते 2012 आ गया था, यानी 9 साल लग गए थे। बीते 6 वर्षों में 10 नए एम्स बनाने पर काम हो चुका है, जिनमें से कई आज पूरी तरह काम शुरू कर चुके हैं।एम्स के साथ ही देश में 20 एम्स जैसे सुपर स्पैशिलिटी हॉल्पिटल्स पर भी काम किया जा रहा।

आयुष्मान भारत से गरीबों के लगभग 30 हजार करोड़ रुपये ज्यादा बचे

पीएम मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से गरीबों के लगभग 30 हजार करोड़ रुपये ज्यादा बचे हैं। आप सोचिए, इस योजना ने गरीबों को कितनी बड़ी आर्थिक चिंता से मुक्त किया है। अनेकों गंभीर बीमारियों का इलाज गरीबों ने अच्छे अस्पतालों में मुफ्त कराया है। 2014 से पहले हमारा हेल्थ सेक्टर अलग अलग दिशा में, अलग अलग अप्रोच के साथ काम कर रहा था। प्राइमरी हेल्थ केयर का अपना अलग सिस्टम था, गांव में सुविधाएं न के बराबर थी।

चिकित्सा शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रहे

पीएम मोदी ने कहा कि भारत में मातृ मृत्यु दर अतीत की तुलना में बहुत कम हो गई है। परिणाम पर ध्यान देना पर्याप्त नहीं है, कार्यान्वयन और प्रभाव दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। व्यवहार प्रतिमानों में व्यापक बदलाव लाने के लिए, हमें प्रक्रिया में सुधार करना चाहिए। हमने हेल्थ सेक्टर में समग्र तरीके से काम शुरू किया। हमने जहां एक तरफ निवारक देखभाल पर बल दिया, वहीं इलाज की आधुनिक सुविधाओं को भी प्राथमिकता दी। हम भारत में चिकित्सा शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के गठन के बाद स्वास्थ्य शिक्षा की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होगा।