कृषि कानूनों पर दुष्प्रचार के खिलाफ ; कूटनीतिक घेराबंदी ,

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की आड़ में दुनिया की कई मशहूर हस्तियों के साथ ही जिस तरह कुछ विदेशी राजनेताओं ने भारतीय लोकतंत्र को निशाने पर लेना शुरू किया है, उसे सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है। सरकार ने एक तरफ जहां इस मुद्दे की आड़ में भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने में जुटी विदेशी एजेंसियों की पहचान की है, वहीं इसे लेकर अपनी कूटनीतिक घेरेबंदी भी बढ़ा दी है। विदेश मंत्रालय का पूरा महकमा इस तरह के दुष्प्रचार के खिलाफ नए सिरे से लामबंद हो गया है।

: – विश्व बैंक, आइएमएफ जैसी एजेंसियों से साधा संपर्क

दुनियाभर में फैले भारतीय दूतावासों के अधिकारी स्वयं ही दूसरे देशों की हस्तियों से मुलाकात कर रहे हैं और उन्हें जमीनी हालात की सच्चाई बताने का अभियान शुरू किया है। उन बहुराष्ट्रीय एजेंसियों से भी संपर्क साधा जा रहा है जो अभी तक भारत में कृषि सुधारों की मांग कर रही थीं।विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि प्रमुख दूतावासों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे वहां के प्रभावशाली लोगों से मिलें, उनकी राय जानें और उनकी राय के बारे में नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय को सूचना दें।साथ ही भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) जैसी एजेंसियों के अधिकारियों से मिलें और उन्हें भारत में हो रहे कृषि सुधारों के बारे में जानकारी दें। भारतीय अधिकारी विदेशी सरकारों के आर्थिक मंत्रालयों के भी संपर्क में हैं। अभी हाल में अमेरिकी विदेशी मंत्रालय ने भारत के कृषि सुधार कानूनों का समर्थन किया था।

विश्व बैंक समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां और दूसरे विकसित देश भी काफी समय से इस तरह की मांग करते रहे हैं। इन एजेंसियों को बताया जा रहा है कि भारत में चल रहे सुधारों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाए जाने से सुधार की पूरी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि सभी विदेशी वाणिज्य दूतावासों और दूतावासों को इस बात का भी निर्देश दिया गया है कि वे विदेशी सरकारों के साथ मानवाधिकार के मुद्दे पर भी संपर्क में रहें। इन एजेंसियों के साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को विदेशी प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिये भी भारत के पक्ष को मजबूती से रखने को कहा गया है।

:- किसान आंदोलन को विदेशी मीडिया और इंटरनेट पर ज्‍यादा तवज्‍जो

इन्हें वहां के स्थानीय मीडिया के रुख के साथ ही इंटरनेट मीडिया पर मानवाधिकार के मुद्दे की आड़ में भारत को घेरने के अभियान पर खास तौर पर नजर रखने को कहा गया है। भारत इस बात से खासा चिंतित है कि दो महीने से चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोलन को विदेशी मीडिया और इंटरनेट साइट्स पर काफी ज्यादा तवज्जो मिलने लगी है। सनद रहे कि हाल में मशहूर पॉप सिंगर रिहाना की तरफ से कृषि कानून विरोधी आंदोलन के पक्ष में ट्वीट किए जाने के बाद दुनिया के कई दूसरी प्रख्यात हस्तियां भी इस मामले में कूद पड़ी हैं।