विकास रथ लेकर चुनाव में उतरेगी  भाजपा

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
1- कोरोना संघर्ष के बीच भी विकास का मॉडल पेश करेगी भाजपा
2- बड़ी परियोजनाओं और आपातकाल में आम जनमानस को दी गई सुविधाओं के नाम पर मांगे जाएंगे वोट

लखनऊ : प्रदेश सरकार अब जो भी फैसले कर रही है वह सभी आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर ही किए जा रहे हैं । भाजपा से पहले समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी विकास को लेकर चुनाव लड़ा था और “काम बोलता है” का नारा भी बढ़-चढ़कर प्रचारित किया गया था। लेकिन वोटर उनके पक्ष में नहीं थे तो सरकार बदल गई। अब मौजूदा सरकार भी आगामी विधानसभा चुनावों में विकास रथ यानी विकास की लंबी चौड़ी श्रृंखला पेश करने जा रही है साथ ही सरकार ने कोविड-19 के कठिन वक्त में कैसे गरीबों का हाथा में रही है और उसके लिए खजाना खोल दिए गए हैं। इसका भी बढ़-चढ़कर कर प्रचार करने के लिए पूरा रोडमैप तैयार हो चुका है।

उत्तर प्रदेश का इतिहास गवाह रहा है कि विकास पर यहां की जातीय गणित सदा से हावी रही है। विकास और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं से शुरू हुए चुनाव अंत तक जाति गणित में उलझे ही दिखाई दिए हैं और काफी हद तक हार जीत का पैमाना भी इसी गणित से तय होता आया है। समाजवादी सरकार भी लखनऊ मेट्रो ,जेपी सेंटर और एक्सप्रेसवे जैसे महत्वपूर्ण कामों को लेकर चुनाव में उतरी थी। लेकिन अंजाम उसका भी वही हुआ जो मायावती के बेशकीमती पथरीले विकास के बाद हुआ था ।

फिलहाल योगी सरकार अपनी कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को समय के अंदर पूरा करने के प्रयत्न में जुटी हुई है। जिसमें सबसे पहले पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का नाम आता है । लखनऊ से गाजीपुर तक जाने वाली इस एक्सप्रेस वे की कुल लंबाई 340 किलोमीटर है। और अपनी सरकार के साडे 4 साल गुजरने के बाद भी योगी सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में नाकाम रही है । अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ मेट्रो का  श्रेय योगी सरकार ने अपने नाम करा तो लिया लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। प्रदेश के मुखिया कानपुर मेट्रो को अपने कार्यकाल में ही दौड़ना चाहते हैं लेकिन लगता है इसमें भी दिल्ली अभी दूर ही है। अब फिलहाल योगी चुनाव से पहले कानपुर मेट्रो के एक करी डोर को कंप्लीट करना चाहते हैं।

इसके साथ ही गंगा एक्सप्रेसवे और जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी योगी सरकार की बड़ी परियोजनाओं की फेहरिस्त में से एक है और मुख्यमंत्री इन दोनों योजनाओं को अमलीजामा तो पहना चुके हैं और इसकी आधारशिला के लिए मोदी का आगमन भी पहले से तय है । अयोध्या का राम मंदिर भाजपा का ही नहीं पूरे देश के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र है। और आगामी चुनाव में यह राम मंदिर मुद्दा न रह जाने के बाद भी भाजपा की केंद्र में ही रहेगा। और चुनाव परिणामों पर आखिरी बार ही सही पर फर्क जरूर डालेगा।