धूमधाम से मनाया गया मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
1- जन्मदिन का मौका भी अखिलेश शिवपाल को नहीं ला पाया करीब
2- देशभर के दिग्गजों की बधाइयों का लगा ताता , 83 किलो का लड्डू भी काटा गया
लखनऊ : आज समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हर वर्ष की भांति धूमधाम से मनाया गया । लेकिन आज जन्मदिन के इस मौके को शिवपाल और अखिलेश के मिलन के दिन के रूप में देखा जा रहा था लेकिन समाजवादी के चहेतों को एक बार फिर मायूसी ही हाथ लगी। नेताजी ने जहां अखिलेश यादव और प्रोफेसर रामगोपाल के साथ लखनऊ में केक काटा वही शिवपाल ने एक बार फिर प्रसपा के बैनर के नीचे नेता जी का जन्मदिन मनाकर संतोष किया।

राजधानी के समाजवादी प्रदेश कार्यालय पर आज सुबह से ही सपा संरक्षक के जन्मदिन को लेकर काफी गहमागहमी रही। पार्टी नेता और संगठन के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में प्रदेश कार्यालय में जुटे थे। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने पार्टी मुखिया अखिलेश यादव और पार्टी के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव की मौजूदगी में अपना 83 वां जन्मदिवस मनाया। दोनों नेताओं ने शाल ओढ़ाकर नेता जी का स्वागत किया और जन्मदिन की बधाई दी।

इस मौके पर हर बार की तरह नेता जी ने पार्टी के अंदर चल रही कलह को ध्यान में रखते हुए सबको एक होकर भाजपा के खिलाफ संघर्ष को तेज रखने की सलाह दी । उन्होंने कहा आज मेरे जन्मदिन के मौके पर आप लोग इतनी बड़ी तादाद में आए हैं । मैं आप सभी का आभारी हूं मेरी यही इच्छा है कि समाज की सबसे गरीब व्यक्ति का भी जन्मदिन भी बेहतर तरीके से मनाया जाए। और आप हमें भी बुलाइए मैं अवश्य आऊंगा। उन्होंने कहा सपा परिवर्तन की राजनीति करती है युवाओं में जोश दिख रहा है इसे वोट में बदलकर समाजवादी पार्टी को मजबूत किया जाए। हम जनता के विश्वास पर खरा उतरेंगे ।देशभर के सभी राजनीतिक दलों से भी बधाई हो का तांता लगा रहा।

समाजवादी संरक्षक की जन्मदिन के मौके पर सपा और बसपा के विलय की पूरी संभावना जताई जा रही थी लेकिन फिलहाल यह मौका भी दूसरे कई मौकों की तरह ही गवाया गया। आज की यह घटना अंदर खाने कुछ और घटित होने की तरफ इशारा कर रही है। सूत्रों की माने तो अखिलेश शिवपाल के पार्टी विलय को लेकर विशेष उत्साहित नहीं हैं क्योंकि उन्हें यह लगता है कि इस कदम से सपा को कम और शिवपाल को ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है। लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि संगठनात्मक क्षमता के बेहतर खिलाड़ी शिवपाल जब सपा के साथ मिलकर चुनाव में उतरेंगे तो इसका सीधा फायदा फायदा सपा को मिलना तय है। देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में आंकड़ों पर आत्मसम्मान कितना हल्का साबित होता है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।