श्री राम कथा सुनने की जिसमें भी ललक है वो धन्य है – प्रेम भूषण जी महाराज

गोपाल द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज़
हरदोई : जिस किसी भी व्यक्ति में इस कलिकाल में श्रीराम कथा सुनने की ललक जगती है वो व्यक्ति सचमुच धन्य है. देवों के देव महादेव ने माता पार्वती के भगवान श्रीराम के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा था . धन्य धन्य गिरिराज कुमारी . क्योंकि अपने रामजी की कथा पूछी . उक्त बातें श्रीराम कथा के मर्मज्ञ एवं सरस श्रीराम कथा गायन के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध प्रेम मूर्ति पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने रविवार को कैम्ब्रिज स्कूल के प्रांगण में सप्तदिवसीय श्रीराम कथा के द्वितीय दिन की कथा का गायन करते हुए कही . माता पार्वती और बाबा भोलेनाथ के विवाह की कथा सुनने के बाद आगे प्रभु श्रीराम के प्राकट्य की कथा सुनाने के क्रम में कहा कि आजादी के बाद भी भारत की सरकार के प्रधान सेवकों को भगवान श्रीराम का पता ही नहीं मिल रहा था . सत्य तो हमेशा सत्य ही होता है. भगवान को सत्यनारायण कहा जाता है. झूठ नारायण नहीं कहा जाता है. जब सत्ता में एक तपस्वी व्यक्ति का आगमन हुआ तो रामजी का पता भी मिल गया और रामसेतु पर उठने वाले सवाल भी समाप्त हो गए। पूज्य श्री जी ने कहा कि जीवन में सत्य की ही उपासना करनी चाहिए. भगत कभी भी झूठ की उपासना नहीं करता है क्योंकि भगवान स्वयं सत्य स्वरूप हैं . अन्य प्रसंग की व्याख्या के क्रम में महाराज जी ने कहा कि सवर्गीय उपेन्द्र तिवारी की स्मृति में रजनी तिवारी ने श्रीराम कथा का पावन संकल्प लिया और यह पूरा भी हो रहा है। रामजी की कथा को कामधेनु कहा गया है . और यह मनुष्य को सबकुछ प्रदान करने वाली है. कथा सर्वदा सुख प्रदान करती है. शर्त केवल इतनी है कि कथा का श्रद्धा से श्रवण करें और अपने जीवन में उसे उतारने का भी प्रयास करें.पूज्य महाराज ने कहा कि जब हम स्वयं अनुशासन में रहने का अभ्यास कर लेते हैं तो फिर हमारे ऊपर शासन या प्रशासन की आवश्यकता नहीं होती है। राम राज्य में सभी लोग अनुशासन के अभ्यस्त थे.कथा प्रारम्भ होने से पूर्व कथा की मुख्य यजमान रजनी तिवारी ,राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश ने कथा में उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए उनका स्वागत किया और पूरे परिवार सहित व्यासपीठ पर विराजमान विग्रह और पूज्य व्यास का पूजन किया तथा रामायण की आरती की।