प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला का सूर्य तिलक हुआ !

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क


रामनगरी अयोध्या में आज रामनवमी की धूम हैं। राम मंदिर में प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव मनाया जा रहा हैं। रामलला के ललाट पर विशेष यंत्र द्वारा सूर्य तिलक किया गया। सूर्य की किरणे जैसे ही रामलला के ललाट पर पड़ी उनका ललाट जगमग हो उठा मंदिर प्रबंधन ने विज्ञान का इस्तेमाल कर 5.8 सेंटीमीटर प्रकाश की किरण के साथ रामलला का सूर्य तिलक किया हैं। इस मौके पर 10 भारतीय वैज्ञानिको की एक टीम राम मंदिर में तैनात थी। दोपहर 12 बजे से लगभग 3 से 3.5 मिनट तक दर्पण ऑर्डर लेंस का उपयोग करके सूर्य की रौशनी को रामलला की मूर्ति के माथे पर सटीक रूप से स्थापित किया गया। वैज्ञानिको की टीम ने इसके लिए अथक प्रयास किया हैं। रामलला का सूर्य तिलक से पहले उनका दिव्य श्रृंगार किया गया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने एक्स पर तस्वीरें शेयर करते हुए लिया श्री राम नवमी का पवन बेला में आज श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।

वैज्ञानिक ने दर्पण और लेंस से युक्त एक उपकरण तैयार किया था। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इस्टीट्यूट ( सीबी आर आई ) रुड़की के वैज्ञानिक और निदेशक ने कहा की आप्टोमैकेनिकल सिस्टम के तहत इसे अंजाम दिया गया।

उन्होंने बताया ,अंतिम लेंस और दर्पण पूर्व की ओर मुख किए श्री राम के माथे पर सूर्य कि किरणों को केंद्रित करते हैं। सूर्य कि किरणों को उत्तर दिशा कि ओर दूसरे दर्पण की ओर भेजकर प्रत्येक वर्ष रामनवमी क मौके पर सूर्य तिलक बनाया जाता हैं। पाइपिंग ओर अन्य हिस्से पीपल का उपयोग करके उन्होंने कहा कि दर्पण ओर लेंस की क़्वालिटी भी काफी उच्च हैं। जिससे की यह लम्बे समय के लिए टिके । पाइप के अंदर की सतह को काले पाउडर से रंगा गया हैं। जिसे की सूर्य का प्रकाश बिखरने नहीं पाए। सूर्य की गर्मी की तरंगो को मूर्ति के माथे पर पड़ने से रोकने के लिए एक इंफ्राडेड फ़िल्टर ग्लास का उपयोग किया जाता हैं।

कैसे संपन हुआ सूर्य तिलक
दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणे एक दर्पण से टकराने के बाद पीतल की पाइप के सहारे दूसरे दर्पण की तरफ गई। इसके बाद दूसरे दर्पण से टकराकर तीसरे दर्पण से टकराकर तीसरे दर्पण की ओर गई। सूर्य की किरणे दर्पण से टकराने के बाद सीधे पाइप के मुहाने से निवासी और सीधे रामलला के ललाट तक पहुंची इसके बाद पांच मिनट तक रामलला का सुरीतिलक हुआ।