पतंजलि विज्ञापन केस में ,सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई !

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में मंगलवार को केंद्र सरकार से कुछ कठिन सवाल पूछे। बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन को लेकर मैराथन सुनवाई के दौरान यह सवाल -जवाब हुआ। मालूम हो की इन विज्ञापनों में कोरोनिल भी शामिल था जिसे कोविड -19 के खिलाफ कारगर इलाज के रूप में प्रचारित किया गया। वही न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ल्ह की पीठ ने रामदेव और बाल कृष्ण के वकील से समाचार पत्रों में प्रकाशित माफीनामे को दो दिनों के भीतर रिकॉर्ट में पेश करने को कहा। बता दे इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

योगगुरु रामदेव की मौजूदगी में पतंजलि की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पतंजलि ने 67 अखबारी में माफीनामा दिया हैं। जिसमे कंपनी के 10 लाख रूपए खर्च हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव के माफीनामे को एक बार फिर से स्वीकार नहीं किया। आयुर्वेदिक दवाइया बेचने वाली पतंजलि सहित दूसरी कंपनियों के दावों कि जांच के लिए 2018 में डीएमआर में नियम 170 जोड़ा गया था। हालाँकि पिछले साल अगस्त में आयुष मंत्रालय ने स्पेशल टेक्नीकल बोर्ड के इनपुट के आधार पर यु -टर्न लिया ओर इसे हटाने कि सिफारिश कर दी। साथ ही अधिकारियों से कहा गया कि वे अब इस नियम के तहत कार्यवाई करे। नियम 170 के तहत आयुर्वेदिक सिद्ध ओर यूनानी औषधीय बनाने वाली कंपनियों को विज्ञापन देने से पहले स्टेट लाइसेंसिंग ऑथरिटी से मंजूरी लेनी जरुरी थी। इसे लेकर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने यह जानना चाहा कि केंद्र क्यों पीछे हैट गया। अदालत ने कहा ऐसा लगता हैं कि अधिकारी कमाई देखने में ही व्यस्त थे।

माफ़ी 67अखबारों में प्रकाशित हुई , व्यायमूर्ति कोहली ने पूछा ,क्या माफ़ी विज्ञापनों के आकार के बराबर मांगी गई हैं। इस पर रोहतगी ने कहा कि माफ़ी 67 अखबारों में प्रकाशित हुई थी। इसकी लागत दसियो लाख हैं वही न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि हम सोच रहे हैं कि क्या आपके द्वारा प्रकशित पूरे प्रष्ट के विज्ञापनों के लिए लाखो रूपए खर्च होते हैं।

इंडियन मेडिकल एसोशिएशन को भी फटकार – सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि वह पतंजलि पर इशारा कर रही हैं। आईएमए से सुप्रीम कोर्ट ने पूछते हुए कहा कि आपके (आईएमए ) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में डावाओ का समर्थन कर रहे हैं। अगर ऐसा हो रहा हैं तो हमे आप आईएमए पर सवाल क्यों नहीं उठाना चाहिए।