रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं। वैशाख युक्त पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा कहा जाता हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार , भगवान् विष्णु ने अपना नौवे अवतार बुद्ध के रूप में लिया था। इस शुभ तिथि पर सभी भगवान् बुद्ध की पूजा अर्चना करते हैं। उन्होंने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा तिथि 22 मई कि शाम 5 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और समापन 23 मई गुरूवार के दिन शाम 6 बजकर 41 मिनट पर होगा। इसलिए बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी।
पुराणों में महात्मा बुद्ध को भगवान् विष्णु का नौवा अवतार माना गया हैं। इस दिन बौद्ध मतावलबी बौद्ध विहारों और मठो में इक्क्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। महात्मा बुद्ध ने बताया कि तृष्णा ही सभी दुखो का मूल कारण हैं। तृष्णा के कारण संसार का विभन्न वस्तुओं कि ओर मनुष्य प्रवृत्त होता हैं ओर जब वह उन्हें प्राप्त नहीं कर सकता अथवा जब वे प्राप्त होकर भी नष्ट हो जाती हैं तब उसे दुःख होता हैं। तृष्णा के साथ मृत्यु प्राप्त करने वाला प्राणी उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता हैं।
गौतम बुद्ध ने मनुष्य के बहुत से दुखो का कारण उसके स्वंय का अज्ञान ओर मिथ्या दृष्टि बताया हैं। महात्मा बुद्ध नेर पहली बार सारनाथ में प्रवचन दिया था। उनका प्रथम उपदेश ( धर्मचक्र प्रवर्तन ) के नाम से जाना जाता हैं। भगवान् बुद्ध ने कहा केवल मांस खाने वाला ही अपर्वतन नहीं होता बल्कि क्रोध ,व्यभिचार ,छल ,कपट ,ईष्या ,ओर दुसरो को निंदा भी इंसान को अपवित्र बनाती हैं। मन शुद्धता के लिए पवित्र जीवन बिनाता जरुरी हैं।
गौटन बुद्ध का महानिर्वाण -भगवान् बुद्ध का धर्म प्रचार 40 वर्षो तक चलता रहा। अंत में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पावापुरी नामक स्थान पर 80 वर्ष कि अवस्था में ई .पू .483 में वैशाख कि पूर्णिमा के दिन ही महानिर्वाण प्राप्त हुआ। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में एक महीने तक चलने वाले विशाल मेले का आयोजन किया जाता हैं।