कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट करने में दो लोगों की जान चली गई

रीडर टाइम्स डेस्क
यह प्रकरण जैसे ही सामने आया तो पुलिस प्रशासन से लेकर मेडिकल अफसर तक हिल गए आनन – फानन में इस प्रकरण में मुख्य जिला अधिकारी सीएमओ डॉक्टर हरिदत्त नेमी ने तीन सदस्य कमेटी की बैठक मामले की जांच …

कानपुर के केशव नगर के इंपायर क्लीनिक से हेयर ट्रांसप्लांट करने पर पनकी पावर हाउस के सहायक अभियंता की मौत के बाद एक और इंजीनियर की मौत हो गई। इंजीनियर ने भी इंपायर क्लीनिक से इलाज कराया था। फर्रुखाबाद के इंजीनियर की मौत के बाद डॉक्टर को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई फिलहाल पुलिस आरोपी डॉक्टर की तलाश में दबिश दे रही है अभी तक हाथ नहीं आ सकी। उसके क्लीनिक पर लगा बोर्ड और नेम प्लेट भी गायब हो गई। इंजीनियर की मां और छोटे भाई ने पुलिस कमिश्नर से न्याय की गुहार लगाई थी। जिस पर उन्होंने रावतपुर पुलिस को मामले की जांच सौपी है

आरोपी डॉक्टर अनुष्का तिवारी खुद को हेयर ट्रांसप्लांट की विशेषज्ञ बताती है साथ ही कम कीमत में बाल उगाने का दावा भी करती हैं अन्य क्लिनिको में बाल उगाने की सर्जरी लाखों रुपए में होती है लेकिन डॉक्टर अनुष्का यहां काम सिर्फ 40,000 से ₹50,000 में करती हैं। जान गवाने वाले इंजीनियर मयंक कटिहार और विनीत दुबे के परिजनों ने यह दावा किया है सर्जरी के करीब 5 घंटे समय लगता है सर्जरी के बाद मरीज को घर भेज दिया जाता है।

हेयर ट्रांसप्लांट के बाद घर भेजा –
हेयर ट्रांसप्लांट के बाद छोटा बेटा कुशाग्र शाम 5:00 बजे मयंक को फतेहगढ़ स्थित प्रत्येक घर लेकर आया। रात करीब 12:00 उसके सर में तेज दर्द हुआ और डॉक्टर अनुष्का से बात की तो उन्होंने इंजेक्शन लगवाने की बात कही।

इंजेक्शन लगवाने के बाद भी ना मिला आराम .. चेहरे पर आई सूजन –
इंजेक्शन लगवाने के बाद भी उसका दर्द ठीक नहीं हुआ इस पर उन्होंने पट्टी ढीली करने के लिए कहा वह सारी रात दर्द में करहता रहा अगले दिन अनुष्का से दोबारा संपर्क किया तो उन्होंने जल्द ही दर्द से निजात मिलने का आश्वासन दिया। इस बीच मयंक के चेहरे पर सूजन आ गई। और सीने में तेज दर्द उठा उसे आनन उसे आनन फानन में हृदय रोग विशेषज्ञ के पास लेकर ,लेकिन डॉक्टर ने दिल से संबंधित किसी भी तरह की कोई दिक्कत न होने की जानकारी दी। उन्होंने डॉक्टर अनुष्का से मिलने का सुझाव दिया। परेशानियों के बीच 19 नवंबर को उसकी मौत हो गई। करीब 6 महीने तक इंजीनियर के परिजन था परिजन थाने से लेकर उच्च अधिकारियों के यहां चक्कर काटते रहे। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।