हिमाचल में दो सगे भाइयों की एक ही दुल्हन

रीडर टाइम्स डेस्क
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दो भाइयों की एक ही लड़की से शादी का चर्चा विषय बनी हुई है जिले के शिलाई गांव के प्रदीप नेगी और कपिल नेगी के साथ लगते कुन्हट गांव की युवती सुनीता चौहान से शादी की हालांकि इस इलाके के लिए इस प्रकार की शादी कोई …

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की शिलाई क्षेत्र में सदियों पुरानी बहूपति प्रथा की परंपरा एक बार फिर चर्चा में आ गई। यहां कुन्हट गांव की एक युवती ने थिन्डो खानदान के दो सगे भाइयों से विवाह रचाया यह विवाह 12 से 24 जुलाई के बीच पारंपरिक रीति रिवाज के साथ संपन्न हो जिसमें गांव के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया इस अनूठी शादी की हर तरफ चर्चा हो रही है।

दरअसल ,हाटी समाज में इस विवाह प्रथा को उजला पक्ष कहा जाता है दिलचस्प बात यह है कि दोनों दूल्हे पढ़े लिखे हैं एक भाई हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग में कार्यक्रम थे जबकि दूसरा विदेश में नौकरी करता है इस विवाह ने इलाके में कई चर्चा को जन्म दे दिया बहुपति प्रथा सिरमौर जिले के गिरी पाठ क्षेत्र की एक ऐतिहासिक परंपरा रही हैं

एक भाई सरकारी कर्मचारी ,तो दूसरा विदेश में काम करता है –
यह शादी हाटी समुदाय की जोड़ीदार परंपरा के अनुसार हुई जिसमें एक पत्नी को दो या अधिक भाई साझा रूप से अपनाते प्रदीप और कपिल नेगी ने इस परंपरा से शादी का फैसला लिया जिसे वह विश्वास देखभाल और साझी जिम्मेदारी का रिश्ता मानते हैं प्रदीप सरकारी कर्मचारी जबकि उनका छोटा भाई विदेश में काम करता है दोनों भाइयों ने कहा कि आपसी सहमति से हमने विवाह करने का निर्णय लिया उसके बाद युवती ने भी इस विवाह के लिए सहमति दी।

युवती बोली नहीं कोई दबाव –
दुल्हन का कहना है कि उसका समय का निर्णय है कोई दबाव नहीं था शादी में सैकड़ो गांव वाले और रिश्तेदार शामिल हुए और तीन दिन तक चल समारोह में पारंपरिक व्यंजन परोसे गए। क्षेत्र के बुजुर्गों ध्यान सिंह ,जालम सिंह ,नैन सिंह ने बताया कि जोड़ीदारी प्रथा से शादी करने का कारण पुश्तैनी संपत्ति का विभाजन रोकना महिलाओं को विधवा होने से बचाना परिवार में एकता बनाए रखना था।

इस प्रथा के प्रचलन में महाभारत कालीन पांडव संस्कृति को मुख्य स्रोत के रूप में माना जाता है पांडवों का अज्ञातवास सिरमौर जिले का गिरी पार क्षेत्र ,उत्तराखंड का जौनसार बावर और शिमला जिला के जुब्बल क्षेत्र में भी रहा है। जिसके अनेक प्रमाण आज भी उपलब्ध है हाटी और जौनसार जनजाति के प्रमुख और अध्याय देव जौनसार बाबर के हनोल में स्थित महासू देवता के मंदिर के मूल स्थापना पांडवों की ओर से ही मानी जाती है इन क्षेत्रों के मूल निवासी शाठी और पाशी अपने को कौरव और पांडव वंशज मानते हैं।