रीडर टाइम्स डेस्क
झालावाड़ के छोटे से गांव में कुछ दिन पहले तक एक मां के आंगन में बच्चों की खिलखिलाहट गूंजती थी भाई- बहन की मासूम हंसी और शरारतों से भरा वहां घर अब सन्नाटे से भरा पड़ा है …

राजस्थान में झालावाड़ जिले के घर में जिस आंगन में कुछ दिन पहले तक दो भाई बहन की हंसी गूंजा करती थी अब वह मातम पसरा हुआ। दरअसल पीपलोदी गांव में शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल की इमारत ढहने की घटना में दो भाई बहन सहित 7 बच्चों की मौत हो गई जिसके बाद इन सात बच्चों के परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और घटना के एक दिन गुजारने के बाद भी उनके आंसू नहीं रुक रहे हैं।
इस हादसे में एक महिला ने अपने दोनों बच्चों को खो दिया जिसके चलते एक ही दिन में उसकी तो जैसे जिंदगी ही उजड़ गई। घटना की बाद से ही उस मां का रोना नहीं रोक रहा और वह बार-बार एक ही बात दोहरा रहे कि काश भगवान ने बच्चों की जगह मुझे उठा लिया होता।
मौसमों की लाशे – अस्पताल में मातम –
शनिवार की सुबह झालावाड़ के एसआरजी अस्पताल में मोर्चरी के बाहर मातम पसरा था। रोती बिलखती माओ की चीखे आसमान चिर रही थी। कुछ माताएं अपने बच्चों के शवों से लिपट बैठी थी। उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थी तो कुछ स्तब्ध थी शायद अभी भी यकीन नहीं कर पा रही कि उनका लाल अब दुनिया में नहीं रहा।
उन सात बच्चों में 6 साल का कान्हा और उसकी 12 साल की बहन मीणा भी शामिल थे तीन अन्य बच्चों के साथ दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर कर दिया गया बाकी दो बच्चों की अंत्येष्टि अलग की गई।
लोगों का कहना है कि स्कूल की इमारत पहले से ही जर्जर थी कई बार शिकायत की गई लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया जब यह हादसा हुआ इसके बाद लोगों का गुस्सा फूड पड़ा गुराड़ी चौराहे और एसआरजी अस्पताल के बाहर भी भारी प्रदर्शन हुआ पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा इसी दौरान एक पुलिसकर्मी घायल भी हो गया।
प्रशासन ने सभी स्कूलों की बिल्डिंग का जायजा लेने के आदेश दिया शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जब तक किसी स्कूल की इमारत पूरी तरह सुरक्षित ना हो बच्चों को क्लास ना भेजा जाए लेकिन उनका क्या जिन्होंने लाल को दिए जिनकी गोद सूनी हो गई जिनके घर अब खेल कूद की आवाज से नहीं सन्नाटे और आंसुओं से भरा हैं।