हरदोई का अपना इतिहास और परंपरा है इसे तो नहीं बदल सकते – नेचरोपैथ डॉ राजेश मिश्र

रीडर टाइम्स डेस्क

  • हरदोई को हरदोई ही रहने दो और कोई नाम न दो
  • नाम परिवर्तन में ऊर्जा न लगाकर पर्यावरण संरक्षण में जुटें और नकल के महासागरों के विरुद्ध चलाएं अभियान

हरदोई 26 जुलाई / कई बार लोग स्थान का नाम परिवर्तन करने पर जोर देते हैं। लेकिन इससे वास्तव में उस स्थान की पहचान या महत्त्व नहीं बदल सकता। हरदोई का अपना इतिहास और परंपरा है इसे तो नहीं बदल सकते। शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ राजेश मिश्र ने कहा कि कुछ लोग चर्चा में रहने के लिए हरदोई का नाम परिवर्तन कराने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरदोई स्वयं ही अच्छा शब्द है। इसके परिवर्तन के बारे में सोचना ही व्यर्थ है। उन्होंने कहा ‘हरदोई को हरदोई ही रहने दो और कोई नाम न दो’। कहा नाम परिवर्तन से अधिक महत्त्वपूर्ण है। उस स्थान के इतिहास, संस्कृति और महत्त्व को समझना और उसका सम्मान करना। मिश्र ने कहा कि उन्होंने हरदोई के शहीद ग्रामों से लेकर समस्त ब्लाकों और थानों में स्वास्थ्य रक्षा के लिए यात्रा की है। कहा हरदोई अच्छा है। हरदोई के लोगों में बंदूक के बजाय विद्या प्रेम बढ़ रहा है, जो प्रशंसनीय है

डॉ राजेश ने कहा कि नाम परिवर्तन के बजाय, हम इस स्थान के विकास और सुधार पर ध्यान केंद्रित करें, जिससे यहां रहने वाले लोगों को अधिक लाभ हो सकता है। श्री मिश्र ने कहा कि करने को बहुत कुछ है लेकिन जिसका धरातल कमजोर है, वह उधर सोच ही नहीं सकता। करना ही है तो बुनियादी सुविधाओं का विकास कीजिए। नकल के महासागरों के विरुद्ध अभियान चलाकर लोगों को ठीक-ठीक शिक्षित करने और उन्हें जागरुक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं। कहा आर्थिक विकास के लिए स्थानीय उद्योगों और व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए पहल करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संंरक्षण बड़ा विषय है। नेचरोपैथ डॉ मिश्र ने कहा कि इन पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित करके, हम हरदोई के विकास और सुधार में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। उन्होंने नाम परिवर्तन की रट लगाने को मानसिक बीमारी बताया। कहा यह गम्भीर बीमारी है और इस बीमारी से छुटकारा दीर्घकाल तक जप,तप, संध्या और हवन करने से मिलेगा।