यूपी में है एक शहर बरेली ; वहीं उलझ गई एक पहेली ,

आदेश शर्मा
रीडर टाइम्स न्यूज़
बरेली की पहेली-
बरेली में बरस रहे थे सावन ,
लोग भीगकर हो रहे थे पावन।
बिहारीपुर में बारिश का आना,
जैसे हो राधारानी का बरसाना।
बरेली में है बिहारीपुर ढाल,
जा पहुंचा मैं समय निकाल।
थी जहां झगड़े वाली मड़ियां
वहीं बिताई मैने कुछ घड़ियां।
था जहां दिनेशचंद्रा प्रतिष्ठान,
वही घटा कुछ विचित्र महान।
मैं बैठा था वहीं एक कुर्सी पर,
मनो चांद आ गया हो धर्ती पर।
दिन में फैल गई चांदनी,
चारो ओर छा गई रागिनी।
जब उसने आवाज लगाई,
जल्दी – हल्दी दो मुझको भाई।
इतना सुनते बज उठे सितार,
मेरे मन में आया एक विचार।
बिहारी जी तेरी लीला न्यारी,
दिखा दी मुझे एक चित्रकारी।
हल्दी मिलते वो हुए ओझल,
पर नैनों में है अब भी वो पल।
माना धरती पे होगा स्वर्ग कहीं,
पर बिहारीपुर से बढ़ कर नहीं।
या रब अजब खेला होनी का,
वंचित हो न सका सोनी का।