गुरु ही वो शक्ति जो जीवन की दिशा बदल के , उसकी दिशा बदल दे ,

रिपोर्ट : डेस्क रीडर टाइम्स
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा अर्थात व्यास पूजन अथवा गुरु पूजन आज 03 जुलाई को है. इस दिन पारम्परिक रूप से गुरु का पूजन करने का विधान है किंतु गुरु सानिध्य पाना या दर्शन करना किन्हीं कारणों से संभव नहीं है तो इस बात को लेकर परेशान न हों. गुरु अपने शिष्य को अच्छा मार्ग दिखाता है इसलिए जो तत्व हमें बुद्धिमान, ज्ञानवान बनाता है, वह पूजनीय और वंदनीय तो होगा ही. गुरु तत्व किसी भी रूप में हमारे सामने आ सकता है. स्कूल या कॉलेज के अध्यापक अथवा समाज के अन्य लोग जिनसे आपको किसी न किसी रूप में ज्ञान की प्राप्ति हुई हो उनसे इस दिन मिलकर उपहार देते हुए आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. गरीब ब्राह्मणों को भरपेट भोजन अवश्य कराना चाहिए. संपर्क में कोई निर्धन व्यक्ति हो जिसे वस्त्रों की आवश्यकता हो तो उसे वस्त्र दान में दे सकते हैं.

माता-पिता को शाष्टांग प्रणाम-
आज के वैज्ञानिक युग में जो लोग गुरु परंपरा से वंचित हैं या समय के अभाव के कारण अपने पैतृक निवास या मूल स्थान से थोड़ा दूर हैं, तो उनको गुरु की कृपा पाने के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. इस ब्रह्मांड में सर्वप्रथम गुरु तो माता-पिता ही हैं. जन्म लेने के बाद बच्चा सबसे पहले अपनी मां से ज्ञान लेता है. उसके बाद पिता की छाया में वह बढ़ना प्रारंभ करता है. गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठ कर दैनिक क्रिया से निवृत होने के बाद सबसे पहले अपने माता-पिता के चरणों में अपना माथा रखें यानी शाष्टांग दंडवत प्रणाम करें. यही तो प्रथम गुरु हैं. ऐसा करने से अद्भुत और अलौकिक फल प्राप्त होगा.

प्रभु को भोग –
इस दिन किसी मंदिर जाकर देव दर्शन करते हुए प्रभु को भोग लगा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. बाद में लगाया हुआ भोग सभी लोगों में वितरित करने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें. घर पर भी यदि भगवान का विग्रह है तो उनका अच्छे से श्रृंगार करें और भोग लगाएं.

धर्म ग्रंथ का सम्मान –
गुरु पूर्णिमा पर घर में रखी श्री रामचरित मानस, श्री मद्भगवतगीता या फिर कोई भी धार्मिक पुस्तक को पूजा स्थल पर रखकर उस पर पुष्प अर्पित कर लाल कपड़े से लपेटें, उनको प्रणाम करिए और थोड़ा समय निकाल कर उसका पाठ करिए, धर्म ग्रंथ तो साक्षात गुरु हैं.

गाय को भोजन –
गाय का आशीर्वाद लेना आज बहुत ही आवश्यक है क्योंकि गाय गुरु को रिप्रेजेंट करती है, इसलिए गौ माता के समक्ष पहुंच कर उनको भरपेट भोजन कराएं और प्रणाम करके जीवन की जाने अनजाने में की गई गलतियां की क्षमा मांगते हुए आशीर्वाद प्राप्त करें.