दांपत्य जीवन में सेक्स की अहम भूमिका !

रिपोर्ट -डेस्क रीडर टाइम्स

वैवाहिक जीवन में सेक्स सुखद आनंददायक और सफल हो तो दांपत्य की मजबूती रीढ़ बनकर पति पत्नी के बीच सेतु का काम करता हैं। लेकिन अक्सर देखा गया हैं। की सेक्स के प्रति अरुचि जतलाकर उसे नकारकर अपने समूचे दांपत्य को प्रायः स्त्रिया तहस -नहस कर देती हैं। जैसे समय की कमी ,थकन घर और दफ्तर के काम का प्रेशर ,परिवारिक जिम्मेदारी वैचारिक मतभेद आदि।

सेक्स दांपत्य जीवन की ऐसी जरुरत हैं जिसे कला मानकर यथोचित रूप से निशाने से ही पूर्ण आनंद तक पंहुचा जा सकता हैं। यह संवेदना भावना हैं जो दिलो दिमाग ,तन -मन के तालमेल से सम्पादित हो सम्पूर्णता का सफर तय करती हैं। पर इसमें नवीनता की भी जरुरत होती हैं।

सेक्स दांपत्य जीवन का मुख्य आधार हैं – अधिकांश पत्निया दिन भर तमाम घरेलू दायित्व बखूबी से निभा लेती हैं लेकिन बिस्तर पर थकावट आना स्वभावक बात हैं। बहुत से पत्निया घर की परेशानियों का रोना रोने बैठ जाती हैं। और चाहती हैं की कोई उनसे छेड़छाड़ न करे। हर पति अपनी पत्नी को मात्र किस और स्पर्श से बल्कि समूचे रूप से पाना चाहते हैं क्योकि किसी को शिद्दत से चाहना ,प्यार करना पुरुष को शिद्दत से चाहना ,प्यार करना पुरुष को नजर में सम्भोग हैं।

लेकिन महिलाओ में सेक्स के प्रति मन बनाने अपने को तैयार करने में वक्त लगता हैं। क्योकि बिस्तर पर की गई सेक्स संबंधी अनबन अगले पूरे दिन को खराब करती हैं और संबंधो को और खराब बनाती हैं। सेक्स वास्तव में प्यार और निष्ठा की अभिव्यक्ति हैं। स्वार्थ की नहीं। यह इस्तेमाल की वस्तु नहीं ईमानदारी से आनंद लेने – देने की क्रिया हैं।