भारत में हर मंदिर की एक अलग कि कहानी – जटोली शिव मंदिर , पत्थरो को थपथपाने पर आती हैं डमरू की आवाज !

रिपोर्ट -डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

यह मंदिर भगवान् शिव को समर्पित हैं जिन्हे हिन्दू धर्म में प्राथमिक देवताओ में से एक माना जाता हैं। जटोली शिव मंदिर जो समुद्र ताल से 6.000 फिट की ऊंचाई पर स्थित हैं और मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता हैं। मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक बेहतरीन उदहारण हैं। पौराणिक युग के दौरान यह माना जाता हैं की भगवान् शिव ने इस मंदिर का दौरा किया था। और कुछ समय के लिए यहाँ निवास किया था। 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस जिन्हे बाबा के नाम से जाना जाता हैं। साईट पर पहुंचे और जटोली शिव मंदिर के निर्माण की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शक और निर्देशन में 1974में मंदिर की नीव रखी गई थी।

जटोली शिव मंदिर की वास्तुकला – ये मंदिर विश्व का सबसे ऊँचा शिव मंदिर हैं जिसकी ऊंचाई 111 फिट हैं। मंदिर एक पहाड़ी की छोटी पर स्थित हैं और ऊपर से देखने पर मनमोहक लगता हैं।

क्यों इस मंदिर को चमत्कारी माना जाता हैं – इस मंदिर को इसलिए चमत्कारी माना जाता हं क्योकि यहाँ पत्थरो को थपथपाने पर डमरू की आवाज आती हैं।

जलकुंड का हैं अलग महत्त्व – जटोली शिव मंदिर के पास एक जलकुंड भी हैं। साल 1950 में जब स्वामी कृष्णानंद परमहंस यहाँ आए तब सोलन से पानी की कमी चल रही थी। ऐसे में स्वामी कृष्णनन्द परमहंस ने घोर तपस्या की और फिर शिव ने अपने त्रिशूल से प्रहार कर इस जलकुंड का निर्माण किया था। कहते हैं कि त्रिशूल को जमीन पर मारते ही एक जलधारा फुट पड़ी और उसी से यहां जलकुंड तैयार हुआ। कहा जाता हैं कि इस जलकुंड में नहाने से रोगो से मुक्ति मिल जाती हैं।

जटोली शिव मंदिर जाने का शबे अच्छा समय – हिमाचल प्रदेश में जटोली शिव मंदिर जाने का समय अक्टूबर से मार्च तक हैं क्योकि इन महीनो के दौरान मौसम सुखद रहता हैं।

जटोली शिव मंदिर के पास रहने के स्थान – जटोली शिव मंदिर के पास आवास के कई विकल्प उपलब्ध हैं जिनमे बजट गेस्ट हॉउस से लेकर शानदार रिसोर्ट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में कई होमस्टे भी उपलब्ध हैं जो एक स्थानीय परिवार के साथ रहने का एक अनूठा और प्रामाणिक अनुभव प्रदान करते हैं।